मां का प्यार
माँ का प्यार स्वरचित लघु कथा
वो लगभग आठ साल की बच्ची हड़बड़ाती हुई दवा दुकान पर आई दुकान में भीड़ थी । उसने दवाई का पर्चा ओर हाथ में कुछ मुड़ा सा पाँच सौ का नोट दुकान दार कॊ दिया उसने उसे गल्ले में डाल दिया
कुछ देर बाद दवाई दि दवा देकर वह पैसे मांगने लगा लड़की बोली अंकल हमने आपको पाँच सौ का नोट दिया है दुकानदार लड़की कॊ डांटने लगा तुमने पेसे नहीँ दिये । ये देख लड़की रोने लगी भीड़ लग गई
एक समझदार आदमी बोला बेटा ये तो बोलता है
पैसे नहीँ दिये तुम्हारे पास कुछ प्रूफ है । लड़की सोचकर बोली हाँ अंकल रुपये के एक कोने में माँ का प्यार लिखा है । लोगो ने दुकानदार कॊ गल्ला खोलने
के लिये कहा गल्ला खुलते ही लड़की की नजर एक कोने में मुड़े पड़े पाँच सौ के नोट पर पड़ी वह बोली
ये है मेरा नोट नोट निकाला गया उसके कोने में लिखा था " माँ का प्यार" लोगो ने दुकानदार कॊ डाटा वह शर्मिंदा हुवा । एक बात बताओ बिटिया इतने नोटो में तुमने केसे पहचाना वह बोली में एक गरीब लड़की हूँ
मेरी माँ कामवाली बाई का काम करती है रोज स्कूल जाते समय कुछ पैसे देती है मैने जमा कर पाँच सौ का नोट बना किताब में रख दिया । में रोज नोट कॊ सहलाती चूमती इसमे मुझे अपनी माँ का पसीने से
लथपथ चेहरा नजर आता है कोने में मैनें लिख दिया
" माँ का प्यार" आज अचानक माँ की तबीयत खराब
हुई घर में पैसे नहीँ थे मैं वही नोट लेकर आगई । उसकी आँखे भरी हुई थी वंहा उपस्थित सभी की आँखे नम थी ।
निर्दोष लक्ष्य जैन
shweta soni
05-Nov-2022 02:17 PM
बहुत सुंदर रचना
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Khan
04-Nov-2022 05:00 PM
Shandar 🌸🙏
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Pratikhya Priyadarshini
03-Nov-2022 09:38 PM
Bahut khoob likha aapne sir 👍 🌺
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